Saturday 29 April 2017

षट्कर्म सूत्र नेति

 शरीर को शुद्ध करने की छह क्रियाएं

शरीर को स्वच्छ सुन्दर, व स्वस्थ रखने के लिए षट्कर्म से अच्छा और कोई साधन नहीं!
हमारे शरीर की प्रकृति त्रिगुणात्मक है ! वात, पित्त और कफ ये तीनो यदि समान रूप से रहे तो शरीर निरोग व शुद्ध रहेगा! वात के कारण होने वाले रोग जैसे- गैस, बदहजमी , जोड़ो का दर्द , गठिया के लिए बस्ति(अनीमा) और नौलि है! कफ से हुई खांसी, बलगम, दमा, श्वास रोग टी.बी आदि रोगो के लिए नेती और कपालभाति तथा पित्तजन्य रोगों- गर्मी, पीलिया, वबासीर, जिगर (यकृत) की खराबी आदि के लिए धौति है!

षट्कर्म इन उपरोक्त तीनो वात , कफ और पित्त में समानता लाने में सहायक है!
हमारे आजकल के गलत रहन- सहन और गलत  खान- पान से शरीर स्वस्थ नहीं रह पाता! शरीर में मल जमा हो जाता है! शरीर का मल बाहर  करने के लिए षट्कर्म कराया जाता है!
आसन व प्राणायाम के अभ्यास से पहले इन षट्कर्मो को करना अति अत्यावश्यक है!

साधक धौति, बस्ति, नेती, नौलि, त्राटक, और कपालभाति इन षट्कर्मो का अभ्यास करें! यहाँ मैं इन्ही षट्कर्मो की जानकारी सरल से कठिन क्रम की ओर देने जा रहा हु , ताकि साधक को अभ्यास में कठिनता और निराशा का सामना न करना पड़े ! इन दोनों ही स्थितियों में साधक हतोत्साहित हो जाता है! और साधना को बीच में ही यहाँ तर्क देते हुए छोड़ देता है के ये अपने बस से बाहर है!

नेती
वैसे तो नेति कई प्रकार की होती है पर उनमे सूत्र नेति और जल नेति प्रधान है
सूत्र नेति: सूत्र नेति सूत किसी योगाश्रम से ली जा सकती है , प्रातः काल दातुन आदि करने के बाद पैरो पर बैठ कर गर्दन ऊंची रखकर जो स्वर चल रहा हो उस नाक में नेति को भिगोकर नाक के छिद्र में धीरे-धीरे डालें! जब उसका अगला भाग गले के अन्दर आ जाए तो उसे दूसरे हाथ की उंगली से पकड़ ले! अब नेति के दोनों भागो को पकड़ कर अन्दर बाहर करते हुए घर्षण करें ! फिर बाद में नेति को मुँह से धीरे धीरे बाहर निकल दें !
यही क्रिया दूसरी नाक के छिद्र से करें!

सूत्र को गर्म पानी से अच्छी तरह धो कर रखें ताकि उसमे कफ जमा न रह जाए! सूत्र नेति केवल सूट से बनी होती है, इसलिए उसे गर्म पानी और साबुन से धो सकते है!

लाभ
नेतिक्रिया कफादि को दूर कर कपाल को स्वच्छ करती है! नेत्र ज्योति बढ़ती है! गले, नाक. कान को रोगो से रक्षा करती है और रोगो को दूर करती है!
इससे सर्दी, जुकाम, सरदर्द, कान का बहरापन , नाक की हड्डी बढ़ना इत्यादि रोग दूर होते है!
नेति से फेफड़ो में भरा कफ भी दूर हो जाता है!

नोट:- सूत्र नेति से नाक में जलन या खून निकल आये तो शुद्ध घी की कुछ नाक में दोनों ओर डाले !
वैसे बी रात को सोते समय घी की कुछ बुँदे प्रतिदिन नाक के छिद्रोme डालने और श्वास अन्दर ले लेने से विशेष लाभ होता है
लकवे में यह 'घृत नेति' बहुत लाभकारी है!

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